छत्तीसगढ़ राज्य को अस्तित्व में आए तेरह साल हो गए और अधिकतम समय 12 वर्ष डा. रमन सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में गुजर रहा है. इस बीच राज्य में अभूतपूर्व प्रगति हुई है, निश्चित रुप से इस बात के लिए मौजूदा मुख्यमंत्री की प्रशंसा की जानी चाहिए. राजधानी सहित शहरों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं उपलब्ध कराने में बहुत ध्यान दिया गया है, नए औद्योगिक क्षेत्रों का विकास हुआ है, जिसमें रायगढ़ और जांजगीर-चाम्पा जिले उल्लेखनीय हैं.
राजधानी रायपुर में तो नए रायपुर की संकल्पना को साकार किया जा रहा है, वहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खेलकूद के लिए संसाधन जुटाए गए हैं. व्यवसाय के क्षेत्र में वैश्विक महाकाय कम्पनियां भी अब छत्तीसगढ़ की ओर रुख कर रही हैं, मैकडोनाल्ड जैसी कम्पनी रायपुर में स्टोर खोलने जा रही है. कोई भी बड़ी कम्पनी जब किसी स्थान पर अपना व्यवसाय कर विस्तार करती है तो संबंधित स्थान के लोगों की आय, खरीद की क्षमता, खान-पान की प्रकृति और समृद्धि का ठोंक-बजाकर आंकलन करने के बाद ही फैसला लेती है. लगातार राजधानी सहित कतिपय शहरों में नामचीन कम्पनियों का आना इस बात का संकेत देती है कि छग के शहरों में समृद्धि बढ़ी है. इस समृद्धि का स्वागत होना चाहिए, लेकिन छग की विकास यात्रा की समग्रता से समीक्षा भी किए जाने की जरुरत है.
इस लिहाज से छत्तीसगढ़ भी दो हिस्सों में बंटा हुआ है. यहां वनांचल में आदिवासी हैं तो प्रदेश का सबसे बड़ा हिस्सा किसानों, खेतिहर मजदूरों, गरीबों का है. सिंचाई की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है, इसका सबूत अल्प वर्षा के कारण सूबे के 117 तहसीलों का सूखाग्रस्त घोषित होना है. रोजगार के लिए प्रदेश के बड़े हिस्से में उद्योग-व्यवसाय भी नहीं हैं. राज्य सरकार ने अपनी ओर से अकालग्रस्त किसानों को 50 फीसदी फसल नुकसान पर मुआवजा देने की बात की है, तो मनरेगा के दिनों को सौ से बढ़ाकर 150 दिन करने का एेलान किया है. दूसरी ओर समृद्धि और विपन्नता की तस्वीर इतनी भयावह है कि फसल बर्बाद होने और कर्ज से डूबकर जान दे देने वाले किसानों के लिहाज से प्रदेश चौथे स्थान पर आता है. महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और मध्यप्रदेश के किसान-समाज के साथ बदहाली में छग कदमताल कर रहा है. शहरों, खासतौर पर राजधानी की सूरत बदलने और बड़े ब्रांडो का आकर्षण केन्द्र बनने से ही प्रदेश की समृद्धि का समुचित आंकलन संभव नहीं है. समय की जरुरत है कि गांव-गांव तक समृद्धि पहुंचे और अंतर्राष्ट्रीय बड़े ब्रांड पूरे छत्तीसगढ़ के हर कोने पर अपने उत्पाद पहुंचाएं. प्रदेश में दो तस्वीर दिखाई न दे, इसके लिए बेहद जरुरी है कि किसानों, गांव के गरीबों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं जिससे समृद्धि का समान बंटवारा हो.
राजधानी रायपुर में तो नए रायपुर की संकल्पना को साकार किया जा रहा है, वहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खेलकूद के लिए संसाधन जुटाए गए हैं. व्यवसाय के क्षेत्र में वैश्विक महाकाय कम्पनियां भी अब छत्तीसगढ़ की ओर रुख कर रही हैं, मैकडोनाल्ड जैसी कम्पनी रायपुर में स्टोर खोलने जा रही है. कोई भी बड़ी कम्पनी जब किसी स्थान पर अपना व्यवसाय कर विस्तार करती है तो संबंधित स्थान के लोगों की आय, खरीद की क्षमता, खान-पान की प्रकृति और समृद्धि का ठोंक-बजाकर आंकलन करने के बाद ही फैसला लेती है. लगातार राजधानी सहित कतिपय शहरों में नामचीन कम्पनियों का आना इस बात का संकेत देती है कि छग के शहरों में समृद्धि बढ़ी है. इस समृद्धि का स्वागत होना चाहिए, लेकिन छग की विकास यात्रा की समग्रता से समीक्षा भी किए जाने की जरुरत है.
इस लिहाज से छत्तीसगढ़ भी दो हिस्सों में बंटा हुआ है. यहां वनांचल में आदिवासी हैं तो प्रदेश का सबसे बड़ा हिस्सा किसानों, खेतिहर मजदूरों, गरीबों का है. सिंचाई की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है, इसका सबूत अल्प वर्षा के कारण सूबे के 117 तहसीलों का सूखाग्रस्त घोषित होना है. रोजगार के लिए प्रदेश के बड़े हिस्से में उद्योग-व्यवसाय भी नहीं हैं. राज्य सरकार ने अपनी ओर से अकालग्रस्त किसानों को 50 फीसदी फसल नुकसान पर मुआवजा देने की बात की है, तो मनरेगा के दिनों को सौ से बढ़ाकर 150 दिन करने का एेलान किया है. दूसरी ओर समृद्धि और विपन्नता की तस्वीर इतनी भयावह है कि फसल बर्बाद होने और कर्ज से डूबकर जान दे देने वाले किसानों के लिहाज से प्रदेश चौथे स्थान पर आता है. महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और मध्यप्रदेश के किसान-समाज के साथ बदहाली में छग कदमताल कर रहा है. शहरों, खासतौर पर राजधानी की सूरत बदलने और बड़े ब्रांडो का आकर्षण केन्द्र बनने से ही प्रदेश की समृद्धि का समुचित आंकलन संभव नहीं है. समय की जरुरत है कि गांव-गांव तक समृद्धि पहुंचे और अंतर्राष्ट्रीय बड़े ब्रांड पूरे छत्तीसगढ़ के हर कोने पर अपने उत्पाद पहुंचाएं. प्रदेश में दो तस्वीर दिखाई न दे, इसके लिए बेहद जरुरी है कि किसानों, गांव के गरीबों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं जिससे समृद्धि का समान बंटवारा हो.
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