कारोबार की दुनिया में भयानक युद्ध होता है और कोई योद्धा किसी दिग्गज को धराशायी कर, उसको अपने अधीनस्थ बना मध्ययुगीन दृश्यों को ताजा कर देता है. आज कारोबार जगत और उसकी खबरों में दिलचस्पी लेने वाले उत्तेजित और उद्वेलित हैं. सिर्फ पांच महीने पहले कारोबार के मैदान में उतरी अल्फाबेट, महाकाय एप्पल को पछाडक़र दुनिया की सबसे मूल्यवान कम्पनी बन गई. वैश्विक बाजार वित्तीय पूंजी और तकनालॉजी का दिलचस्प और बेरहम अखाड़ा बन गया है. वित्तीय पूंजी के वर्चस्व और मार्केटिंग की रणनीति हमेशा से चौकाती रही हैं.
यह घटना पहली बार नहीं हुई है, इससे पहले भी बड़े उलटफेरों में माइक्रोसॉफ्ट ने आईबीएम को परास्त करने का कारनामा दिखाया था, तो एप्पल ने माइक्रोसाफ्ट को 2010 में पटखनी दी थी. इसी एप्पल को उम्र के लिहाज से एक शिशु कम्पनी के हाथों मात खाना, वाकई हैरतअंगेज और मानीखेज है. आज बाजार की ताकतों का वास्तविक नियंत्रण शेयर बाजारों में होता है और सोमवार को अमेरिकी बाजार की भारी खरीद-फरोख्त ने दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन और तकनालॉजी कम्पनी गूगल को अल्फाबेट के अधीन कर दिया. अपने लांच के साथ ही गूगल की मोबाइल आपरेटिंग सिस्टम एंड्रायड दुनिया में नंबर एक बन गई थी, लेकिन एप्पल जब सैमसंग के साथ मुकदमें में फंसी तो नवीनतम तकनीक देने में पिछड़ती रही. कुल मिलाकर स्थिति यह है कि आज का उपभोक्ता, बाजार से प्रतिदिन नवीनतम की मांग करता है और नया न दे पाने की स्थिति में बाजार पुरानी कंपनियों को पीछे धकेल देता है, नए दिग्गज आ जाते हैं.
कारोबार जगत का लक्ष्य अकूत मुनाफा कमाना होता है लेकिन इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उसे हर क्षण मेहनत करनी पड़ती है. यदि किसी बड़ी सफलता और काम को लंबे समय के लिए भुनाने की कोशिश करें तो अर्श से फर्श पर आ जाने में देर नहीं लगती. नए उद्योगों की सफलताओं की कहानियों में अल्फाबेट मील का पत्थर है तो भारत जैसे विकासशील देशों के उद्यमियों के बीच उम्मीद का संचार भी करता है. कारोबार जगत में ऊंचाइयां हासिल करने के लिये नवीनतम ज्ञान और तकनीक का सतत प्रवाह जरूरी है. नए उद्यमियों के लिए प्रधानमंत्री द्वारा घोषित स्टार्टअप योजना जहां ठोस आधार प्रदान करती है तो अल्फाबेट सहित पहले की कम्पनियों की गतिविधियां आगे बढऩे और उस तरह गलतियां न करने की हिदायत देती हैं. साथ ही सावधान भी करती है कारोबार जगत का ‘मत्स्य-न्याय’ उन्हें अस्तित्वहीन भी कर सकती है. भारत में सफलताओं की ढेरों कहानियां हैं.
ऑनलाइन व्यापार के क्षेत्र में एक कमरे से शुरू हुए उद्यम अमेरिकी कम्पनियों को भी डराने में सक्षम हैं, लेकिन आजू-बाजू की छोटी कम्पनियों को उदरस्थ करने में भी माहिर होती जा रही हैं. किसी बने बनाए रास्ते पर चलने की जगह नई राह बनाने वाली स्थिति ही कारआमद साबित होती है. सब कुछ अनिश्चित होने के बाद भी यह कारोबार जगत की सच्चाई है कि स्थिरता के लिए नए ज्ञान नई तकनालॉजी के साथ नवीनतम मार्केटिंग पद्धति जरूरी अवयव हैं. इसके बाद मध्ययुगीन युद्धों के परिणाम की तरह कभी भी जीतने, गुलाम होने या मारे जाने के लिए तैयार रहना होता है.
यह घटना पहली बार नहीं हुई है, इससे पहले भी बड़े उलटफेरों में माइक्रोसॉफ्ट ने आईबीएम को परास्त करने का कारनामा दिखाया था, तो एप्पल ने माइक्रोसाफ्ट को 2010 में पटखनी दी थी. इसी एप्पल को उम्र के लिहाज से एक शिशु कम्पनी के हाथों मात खाना, वाकई हैरतअंगेज और मानीखेज है. आज बाजार की ताकतों का वास्तविक नियंत्रण शेयर बाजारों में होता है और सोमवार को अमेरिकी बाजार की भारी खरीद-फरोख्त ने दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन और तकनालॉजी कम्पनी गूगल को अल्फाबेट के अधीन कर दिया. अपने लांच के साथ ही गूगल की मोबाइल आपरेटिंग सिस्टम एंड्रायड दुनिया में नंबर एक बन गई थी, लेकिन एप्पल जब सैमसंग के साथ मुकदमें में फंसी तो नवीनतम तकनीक देने में पिछड़ती रही. कुल मिलाकर स्थिति यह है कि आज का उपभोक्ता, बाजार से प्रतिदिन नवीनतम की मांग करता है और नया न दे पाने की स्थिति में बाजार पुरानी कंपनियों को पीछे धकेल देता है, नए दिग्गज आ जाते हैं.
कारोबार जगत का लक्ष्य अकूत मुनाफा कमाना होता है लेकिन इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उसे हर क्षण मेहनत करनी पड़ती है. यदि किसी बड़ी सफलता और काम को लंबे समय के लिए भुनाने की कोशिश करें तो अर्श से फर्श पर आ जाने में देर नहीं लगती. नए उद्योगों की सफलताओं की कहानियों में अल्फाबेट मील का पत्थर है तो भारत जैसे विकासशील देशों के उद्यमियों के बीच उम्मीद का संचार भी करता है. कारोबार जगत में ऊंचाइयां हासिल करने के लिये नवीनतम ज्ञान और तकनीक का सतत प्रवाह जरूरी है. नए उद्यमियों के लिए प्रधानमंत्री द्वारा घोषित स्टार्टअप योजना जहां ठोस आधार प्रदान करती है तो अल्फाबेट सहित पहले की कम्पनियों की गतिविधियां आगे बढऩे और उस तरह गलतियां न करने की हिदायत देती हैं. साथ ही सावधान भी करती है कारोबार जगत का ‘मत्स्य-न्याय’ उन्हें अस्तित्वहीन भी कर सकती है. भारत में सफलताओं की ढेरों कहानियां हैं.
ऑनलाइन व्यापार के क्षेत्र में एक कमरे से शुरू हुए उद्यम अमेरिकी कम्पनियों को भी डराने में सक्षम हैं, लेकिन आजू-बाजू की छोटी कम्पनियों को उदरस्थ करने में भी माहिर होती जा रही हैं. किसी बने बनाए रास्ते पर चलने की जगह नई राह बनाने वाली स्थिति ही कारआमद साबित होती है. सब कुछ अनिश्चित होने के बाद भी यह कारोबार जगत की सच्चाई है कि स्थिरता के लिए नए ज्ञान नई तकनालॉजी के साथ नवीनतम मार्केटिंग पद्धति जरूरी अवयव हैं. इसके बाद मध्ययुगीन युद्धों के परिणाम की तरह कभी भी जीतने, गुलाम होने या मारे जाने के लिए तैयार रहना होता है.
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