सुरेंद्र प्रसाद सिंह
वामदलों का सांगठनिक ढांचा देश के दूसरे राजनीतिक दलों से उन्हें अलग खड़ा करता है। विचारधारा और पार्टी संविधान को लेकर ये इतने प्रतिबद्ध हैं कि वे यदाकदा नहीं बल्कि आमतौर पर पार्टी के जनाधार को भी दांव पर लगाने से पीछे नहीं हटते हैं। छात्र संगठन से लेकर मूल पार्टी तक इसकी शिकार होती रही हैं। पार्टी में काडर की अहमियत जबर्दस्त होती है। उन्हें पार्टी नेताओं और निर्वाचित प्रतिनिधियों के मुकाबले अधिक तरजीह मिलती है।
निर्वाचित विधायकों और सांसदों के वेतन का एक बड़ा हिस्सा पार्टी फंड में जाता है, जिससे पार्टी के पूर्णकालिक काडर का खर्च वहन होता है। उनके सरकारी आवासों को भी पार्टी के विभिन्न संगठनों के कार्यालय में तब्दील कर दिया जाता है। वामदलों में सबसे बड़े दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का प्रबंधन कुछ यूं होता है। कमोबेश इसी तर्ज पर बाकी का भी प्रबंधन होता है।
पोलित ब्यूरो : रोजमर्रा के मामलों पर नजर रखने के साथ पार्टी की राय जाहिर करने के लिए ब्यूरो हमेशा सक्रिय रहता है। पार्टी के तत्काल लिए जाने फैसलों में 17 सदस्यीय ब्यूरो दखल देता है।
सेंट्रल कमेटी : पार्टी की सबसे ताकतवर और शीर्षस्थ संस्था है। यह पोलित ब्यूरो के फैसलों की समीक्षा करती है। साथ ही पार्टी की नीतियों के अनुरूप लिए गए फैसलों पर अपनी मुहर लगाती है। सेंट्रल कमेटी का दूसरा सबसे बड़ा काम पार्टी कांग्रेस में तय की गई नीतियों के क्रियान्वयन पर कड़ी नजर रखना होता है। इस कमेटी में कोई 80 से अधिक सदस्यों को स्थान दिया जाता है। सेंट्रल कमेटी पोलित ब्यूरो और पार्टी कांग्रेस के बीच समन्वय करती है। पार्टी पदाधिकारियों के चुनाव का अनुमोदन भी यहीं से होता है।
पार्टी कांग्रेस: पार्टी की रीति नीति पर अंतिम फैसला पार्टी कांग्रेस में ही लिया जाता है। प्रत्येक तीन साल में एक बार होने वाली पार्टी कांग्रेस सर्वाधिकार सुरक्षित होती है। पार्टी कांग्रेस में जहां पिछली बैठक में लिए गए निर्णयों की समीक्षा की जाती है, वहीं तीन साल के लिए पार्टी अपना रुख तय करती है। पार्टी कांग्रेस में हिस्सा लेने वाले प्रतिनिधियों का चयन निचले स्तर पर मंडल व वार्ड कमेटियां करती हैं। आगामी अप्रैल 2012 में होने वाली पार्टी कांग्रेस के प्रतिनिधियों के चयन की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें