◾️नोटबंदी के बाद भी पहले की अपेक्षा ज्यादा ताकतवर बनकर केंद्र की सत्ता में काबिज हुआ, ज्यादा निरंकुश हुआ!
◾️क्या मतदाताओं की निर्णायक संख्या में नोटबंदी को जायज नहीं माना!
◾️नोटबंदी की घोषणा के साथ लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को लकवा मार गया था!
◾️ये बात अलग है कि बहुत बाद में ज्ञान झाड़ने आकर माथा ख़राब करते रहे.
◾️अर्थशास्त्र में दुनिया को लोहा मनवाने वाले वामदल, सीताराम येचुरी जैसे महान जानकार सिर्फ ये घिघियाते रहे कि केरल और त्रिपुरा को राहत दो! हो सके तो जनता को भी दे देना.
◾️इतने निकम्मे राजनीतिक दलों और नेताओं के बीच नरेंद्र मोदी क्या कोई भी ऐसी घटिया हरकत आराम से कर सकता है!
◾️3 साल बाद भी रोना-धोना विपक्ष के नेताओं और जिम्मेदार बुद्धिजीवियों का मात्र नाटक है !
◾️मुझे याद है, मेरे आदर्श रहे/हैं- ऐसे लोगों ने समझाने की कोशिश की नोटबंदी रद्द करने की मांग व्यर्थ है, यह सरासर कायरता थी!
◾️नोटबंदी दिवस हो या उसकी बरसी, नरेंद्र मोदी को चौराहे पर आने की चुनौती देने की जगह अपने मुंह पर थप्पड़ मारें तो यह दिवस सफल हो जाएगा.........
◾️क्या मतदाताओं की निर्णायक संख्या में नोटबंदी को जायज नहीं माना!
◾️नोटबंदी की घोषणा के साथ लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को लकवा मार गया था!
◾️ये बात अलग है कि बहुत बाद में ज्ञान झाड़ने आकर माथा ख़राब करते रहे.
◾️अर्थशास्त्र में दुनिया को लोहा मनवाने वाले वामदल, सीताराम येचुरी जैसे महान जानकार सिर्फ ये घिघियाते रहे कि केरल और त्रिपुरा को राहत दो! हो सके तो जनता को भी दे देना.
◾️इतने निकम्मे राजनीतिक दलों और नेताओं के बीच नरेंद्र मोदी क्या कोई भी ऐसी घटिया हरकत आराम से कर सकता है!
◾️3 साल बाद भी रोना-धोना विपक्ष के नेताओं और जिम्मेदार बुद्धिजीवियों का मात्र नाटक है !
◾️मुझे याद है, मेरे आदर्श रहे/हैं- ऐसे लोगों ने समझाने की कोशिश की नोटबंदी रद्द करने की मांग व्यर्थ है, यह सरासर कायरता थी!
◾️नोटबंदी दिवस हो या उसकी बरसी, नरेंद्र मोदी को चौराहे पर आने की चुनौती देने की जगह अपने मुंह पर थप्पड़ मारें तो यह दिवस सफल हो जाएगा.........
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