फीफा वल्र्ड कप का सरताज फ्रांस के बनते ही राष्ट्रपति मेक्रों सहित फ्रांस और दुनियाभर के फुटबाल प्रेमी झूम उठे. क्रोएशिया ने भी योद्धाओं की तरह लोहा लिया और विश्वभर के खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया. इस आयोजन के दौरान दर्शकों का डूबना-उतरना जारी रहा. फुटबाल महाकुंभ के समापन के साथ आगामी स्पर्धाआें की तैयारियों में सभी देश जुट जाएंगे तथा सफलता, असफलताओं की समीक्षा भी की जाएगी. भारत में भी एेसे मौकों पर आत्म-चिंतन जरूरी हो जाता है कि खेल की दुनिया में आखिर हम कहां खड़े हैं. आबादी के लिहाज से दुनिया के दूसरे स्थान पर हमारा नाम होने के बाद भी खेल के मानचित्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करना अभी तक सपना ही बना हुआ है. 68 वर्ष पहले भारत ने 1950 में ब्राजील में आयोजित फीफा वल्र्ड कप के लिए क्वालिफाई किया था, उसके बाद से इस टूर्नामेंट में भाग लेना संभव नहीं हो सका. भारत ने जकार्ता एशियाई खेलों में फुटबॉल का गोल्ड मेडल जीता था. भारत को एशियाई फुटबॉल का ब्राजील तक कहा जाने लगा था. तब चुन्नी गोस्वामी, बीके बेनर्जी, जरनैल सिंह, थंगराज जैसे खिलाड़ी भारतीय फुटबॉल का हिस्सा थे. आज सुनील क्षेत्री जैसे बेहतरीन खिलाड़ी होने के बाद भी फीफा रैंकिंग भारत का स्थान 97वां है. यह स्थिति बताती है कि खेलों को लेकर यहां सजगता और नीति का अभाव शुरू से बना रहा है. तमाम खेल संघों की दशा यह है कि खिलाडिय़ों की नर्सरी बनने की जगह ये बाग उजाडऩे वालों की भूमिका में आ जाते हैं. तमाम अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में पदक और उपलब्धियां हासिल करने वाले खिलाड़ी संघर्षों-अभावों से जूझकर अपने बूते पर आगे बढ़े हैं. कुछेक राज्यों में खेल के विकास पर ध्यान देने की कोशिश की गई है, लेकिन वे पर्याप्त नहीं कहे जा सकते. असम से हीमादास जैसी एथलीट जब स्वर्णपदक हासिल करती हैं तो भारत का कुंठित अभिजात्य मन उसकी अंग्रेजी ठीक से न बोल पाने से आहत हो जाता है. ऐसे लोगों को यह पूछा जाना गलत नहीं होगा कि आखिर खेल की कोई भाषा कैसे बनाई जा सकती है? खेल देश, भाषा, नस्ल की सीमाओं को तोडक़र विश्व बंधुत्व की भावना को बढ़ाने का सबसे बड़ा माध्यम है. देश ही नहीं, अपितु अतरराष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मकता का वातावरण तैयार करता है. आज कुछ लाख की आबादी वाले देश विश्वस्तर पर खेल कौशल से चमत्कृत करते हैं, तो उन्हीं संबंधित देशों की जनता में खुशहाली भी देखी जा सकती है. भारत विकास के पैमाने पर तेजी से बढ़ता हुआ देश है. लेकिन यह विकास तब तक एकांगी दिखता है जब तक खेल में भी हमारी उपलब्धियां दर्ज होकर दुनिया का ध्यान न खींचे.
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